बुधवार, 7 मार्च 2018

WALK-IN-INTERVIEW OF PURELY CONTRACTUAL TEACHERS


केंद्रीय विद्यालय वायुसेना स्थल, नलिया , कच्छ गुजरात 
 शैक्षणिक सत्र 2018 -19 पूर्णता संविदा पर आधारित शिक्षकों की भर्ती हेतु साक्षात्कार


मंगलवार, 6 मार्च 2018

INTERVIEW CIRCULAR

 साक्षात्कार : केंद्रीय विद्यालय संगठन 
{नार्थ ईस्ट क्षेत्र हेतु }
LIST OF CUTOFF MARKS FOR FINAL INTERVIEW
http://kvsangathan.nic.in/GeneralDocuments/ANN(TGT)-05-03-2018.PDF
http://kvsangathan.nic.in/GeneralDocuments/ANN(PRT)-05-03-2018.PDF
http://kvsangathan.nic.in/GeneralDocuments/ANN(PGT)-05-03-2018.PDF

NEW ARRIVALS MARCH 2018

काव्य मंजरी 
केंद्रीय विद्यालय संगठन , नई दिल्ली 

ड्रीम 2047 : मार्च 2018 

GYAN  VITARANAM :MARCH 2018 



NACHIKETANJALI : MARCH 2018 

भारत स्काउट्स एवं गाइड्स : फरवरी 2018 

युगवार्ता : मार्च 04 , 2018 










मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

FAREWELL OF CLASS XII 2017-2018 BATCH

फेयरवेल 2018 



बाल भारती : मार्च 2018 


युगवार्ता : 25 फरवरी 2018 



यथावत :16 -28  फरवरी  2018 


Pratiyogita Darpan : March , 2018 

 Magic Pot : FEBRUARY 2018 
 बालहंस : फरवरी 2018 (II ) 


CAREER  SOLUTIONS : FEBRUARY 2018 


गुजरात : फरवरी 2018 (गुजराती)

गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018





Robert Baden-Powell, 1st Baron Baden-Powell, in full Robert Stephenson Smyth Baden-Powell, 1st Baron Baden-Powell of Gilwell, also called (1922–29) Sir Robert Baden-Powell, 1st Baronet, (born February 22, 1857, London, England—died January 8, 1941, Nyeri, Kenya), British army officer who became a national hero for his 217-day defense of Mafeking (now Mafikeng) in the South African Warof 1899–1902; he later became famous as founder of the Boy Scouts and Girl Guides (also called Girl Scouts).
In 1884–85 Baden-Powell became noted for his use of observation balloons in warfare in Bechuanaland (now Botswana) and the Sudan. From October 12, 1899, to May 17, 1900, he defended Mafeking, holding off a much larger Boer force until the siege was lifted. After the war he recruited and trained the South African constabulary. On returning to England in 1903, he was appointed inspector general of cavalry, and the following year he established the Cavalry School, Netheravon, Wiltshire. He was promoted to lieutenant general in 1907.
Having learned that his military textbook Aids to Scouting (1899) was being used for training boys in woodcraft, Baden-Powell ran a trial camp on Brownsea Island, off Poole, Dorset, in 1907, and he wrote an outline for the proposed Boy Scout movement. Scout troops sprang up all over Britain, and for their use Baden-Powell’s Scouting for Boys was issued in 1908. He retired from the army in 1910 to devote all his time to the Boy Scouts, and in the same year he and his sister Agnes (1858–1945) founded the Girl Guides (in the United States, Girl Scouts from 1912). His wife, Olave, Lady Baden-Powell (1889–1977), also did much to promote the Girl Guides. In 1916 he organized the Wolf Cubs in Great Britain (Cub Scouts in the United States) for boys under the age of 11. At the first international Boy Scout Jamboree (London, 1920), he was acclaimed chief scout of the world.
 baronet from 1922, Baden-Powell was created a baron in 1929. He spent his last years in Kenya for his health. His autobiography, Lessons of a Lifetime (1933), was followed by Baden-Powell (1942, 2nd ed. 1957), by Ernest Edwin Reynolds, and The Boy-Man: The Life of Lord Baden-Powell (1989), by Tim Jeal.
Reference:https://www.britannica.com/biography/Robert-Stephenson-Smyth-Baden-Powell-1st-Baron-Baden-Powell

The world thinking day celebrated in the vidyalaya. On this occassion many activities have been performed by the scouts as well as guides. in the mid of the activities our ALT SCOUT MASTER Mr. C.P. Rajawat has explained many unknowing facts of scouts and guides and other scout master Mr. Sudhakar Gupta (BSM) and Mr. Arvind Kumar (BSM) has also revealed their thoughts on the occassion of world thinking day. At the end of the program Principal Sir has addressed to all scouts and guides that how they can serve their nation being as a scout or guides. On this occassion vidyalaya celebrated this day also as cub and bulbul utsav.





सोमवार, 19 फ़रवरी 2018

INSPIRATIONAL STORY OF THE MONTH

“इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं हैं, हम वो सब कुछ कर सकते हैं जो हम सोच सकते हैं, और हम वो सब कुछ सोचने का अधिकार रखते हैं जो आज तक हमने कभी नहीं सोचा।”
जी हाँ बिलकुल सही कहा है की कुछ करने की इच्छा रखने वालों के लिए इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं अगर इंसान के इरादे मजबूत हो तो गरीबी या मुश्किल हालात जेसी बाधायें भी किसी का रास्ता रोक नहीं सकते।
जी हां दोस्तों, कुछ लोग होते ही हैं इतने काबिल की वे किसी भी परिस्तिथि में अपने सपनों को साकार करने के लिये रास्ता खोज ही लेते हैं। क्या कोई सोच सकता हैं की एक ऑटो रिक्शा चालक का बेटा अपने पहले प्रयास में ही देश का एक सन्मानित पद IAS प्राप्त कर लेंगा। वो भी सिर्फ 21 साल की उम्र में…
यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा देश में सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। लाखों विद्यार्थी यह परीक्षा देते हैं लेकिन् कुछ ही इसमें सफलता पाते है। कड़ी मेहनत, मार्गदर्शन और दृढ़ता का केवल एक उचित संयोजन ही यूपीएससी उम्मीदवारों को इन परीक्षाओं में मदद दे सकता है। कई उम्मीदवारों के पास सभी सुविधाएं और प्रशिक्षण होता है। जो कि पैसे से खरीद सकते हैं, लेकिन् इसके बावजूद वे IAS परीक्षा में सफल नहीं हो पाते।

सबसे कम उम्र वाला IAS अधिकारी अन्सार अहमद शेख – (Ansar Shaikh IAS)

लेकिन कुछ लोंग ऐसे भी होते हैं जो किसी भी परिस्तिथि को अपने सपनों के बिच में नहीं आने देते। ऐसी


 ही एक प्रेरक कहानी है अन्सार अहमद शेख की, जिन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2015 में अपनी पहली कोशिश में ही सफ़लता पायी। वह भी सिर्फ 21 साल उम्र में और वे इतनी कम उम्र में IAS अधिकारी बन गए।
उन्हें IAS बनने की प्रेरणा अपने एक शिक्षक से मिली। परिणाम आने के बाद अंसार के माता पिता बहुत ही भावुक हो उठे जब उन्हें पता चला की उनके बेटे ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की हैं।अन्सार शेख, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के जालना के शेडगांव गांव के एक ऑटो रिक्शा चालक यूनुस शेख अहमद के बेटे हैं। उनके पिता की तीन पत्नियां हैं और अन्सार की मां दूसरी है। अन्सार के घर में अन्सार के अलावा बहुत से बच्चे हैं गरीब होने के कारण, उनके पिता कभी भी अपने किसी भी बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा प्रदान नहीं कर पाए। हालांकि, अन्सार अलग था। वह एक शानदार छात्र था और उसके पास परिस्थितियों पर मात करके कोशिश करने का सर्वोत्तम संभव परिणाम देने की क्षमता है।
अन्सार की मां ने खेतों में काम किया। उनके घर के हालात इतने ज्यादा ख़राब थे की उनकी पढाई को जरी रखने के लिए उनके भाई को अपनी पढाई बीच में ही छोड़ दी। उनके छोटे भाई अनीस ने सातवीं में स्कूल छोड़ दी थी। अनीस परिवार की मदत करने के लिए गेंरेज में काम करता था और अपने भाई को आईएएस परीक्षा के लिए तैयार करने में मदद करता था।
अन्सार की सफलता विशेष रूप से इसलिए भी सराहनीय है क्योकि, शिक्षा उनके परिवार में प्राथमिकता नहीं थी। अपने स्वयं के शब्दों में अंसार ने अपनी घरेलू स्थिति का वर्णन किया है,
“मेरे परिवार में शिक्षा का उतना ज्यादा महत्व नहीं रहा। मेरे पिता, एक रिक्शा चालक हैं उनकी तीन पत्नियां हैं। मेरी मां दूसरी पत्नी है। मेरे छोटे भाई को स्कूल से बाहर निकाल दिया गया और मेरी दो बहनों की शादी छोटी उम्र में हुई थी। जब मैंने उनसे कहा कि मैंने यूपीएससी परीक्षा पास की हैं तो सभी चौंक गए।”
हालांकि अन्सार शेख के पुरे परिवार को उनका सपना पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने अपने एसएससी बोर्ड परीक्षा में 91% हासिल किया थे। उनके पास फर्गुसन कॉलेज, पुणे से राजनीति विज्ञान में डिग्री है।
अन्सार ने यूपीएससी सिविल सर्विस की तैयारी के लिए एक निजी कोचिंग क्लास में भाग लिया था। उनके परिवार को इस के लिए बहुत खर्च करना पड़ता था, तैयारी के दौरान कभी कभी ऐसा समय भी आता था जब उन्हें 1-2 दिन तक खाने को भी नहीं मिलता था। लेकिन जब वे परिणाम प्राप्त करते थे तब सभी खुश हो जाते थे। उन्होंने शिक्षक राहुल पांडव को मार्गदर्शन और समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया।
UPSC  की परीक्षा में 361 वी रैंक हासिल कर के अंसार ने अपनी और अपने परिवार की किस्मत ही बदल डाली। बेशक आज अंसार भारत सरकार में अपनी सेवाएँ दे रहे है लेकिन उनके घर के हालत इतने ख़राब थे इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता हैं की जब एक रिपोर्टर उनका इंटरव्यू लेने उनके घर पंहुचा तो उनके घर पर रौशनी के लिए एक बल्ब तक नहीं था, अंसार के भाई उसी वक़्त पास की दुकान पर गए और बल्ब ले के आये।
आफिसर बन ने के बाद अंसार सबसे पहले सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देना और गरीबों की मदद करने जैसे कामों को प्राथमिकता देंगे।
अंसार के अनुसार यदि 1 ऑटो चलाने वाले का बेटा IAS बन सकता हैं तो दुनिया का कोई भी बच्चा ये कर सकता हैं, चाहे वह अमीर हो या गरीब, चाहे किसी भीं मजहब का हो।कड़ी मेहनत, परिवार और दोस्तों – की मदद से अन्सार ने अपने सपनों को साकार किया। परन्तु किसी चीज से भी ज्यादा, वह रवैया है जो उसे दूसरों से अलग करता है – वह रवैया यही हैं की कभी पीछे नहीं हटना और अपने सपनों को हासिल करने की कोशिश में दृढ़ रहना। उनके इस ज़ज्बे को संगठन  सलाम करती हैं।

short biography of NetaJi S.C.Bose

 Subhas Chandra Bose  In the list of the Indian freedom fighters, the name of Subhas Chandra Bose was without a doubt one of the greatest In...