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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

WORLD BOOK AND COPYRIGHT DAY 23 APRIL

 WORLD BOOK AND COPYRIGHT DAY 23 APRIL


Why do we celebrate this day?

what is world book and copyright day?

 world book and copyright day is a celebration to promote the enjoyment of books and reading. Each year, on 23 April, celebrations take place all over the world to recognize the scope of books - a link between the past and the future, a bridge between generations and across cultures. On this occasion, UNESCO and the international organizations representing the three major sectors of the book industry - publishers, booksellers and libraries, select the World Book Capital for a year to maintain, through its own initiatives, the impetus of the Day’s celebrations. 

23 April is a symbolic date in world literature. It is the date on which several prominent authors, William Shakespeare, Miguel de Cervantes and Inca Garcilaso de la Vega all died. This date was a natural choice for UNESCO's General Conference, held in Paris in 1995, to pay a world-wide tribute to books and authors on this date, encouraging everyone to access books.

By championing books and copyright, UNESCO stands up for creativity, diversity and equal access to knowledge, with the work across the board – from the Creative Cities of Literature network to promoting literacy and mobile learning and advancing Open Access to scientific knowledge and educational resources. With the active involvement of all stakeholders: authors, publishers, teachers, librarians, public and private institutions, humanitarian NGOs and the mass media, and all those who feel motivated to work together in this world celebration of books and authors, World Book and Copyright Day has become a platform to rally together millions of people all around the world.

Resource: https://en.unesco.org/commemorations/worldbookday

Sudhakar Gupta

Librarian

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

DREAD IMPACT OF ATOM BOMB ON HIROSHIMA AND NAGASAKI

हिरोशिमा और नागासाकी की कहानी:75 साल पहले अमेरिका ने जापान के दो शहरों पर परमाणु बम गिराया था, देखते ही देखते शहर मिट्टी में मिल गया

पहली बार युद्ध के समय जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया। -फाइल फोटो
  • 6 अगस्त को अमेरिका ने हिरोशिमा पर और 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर परमाणु हमला किया था
  • हिरोशिमा पर गिराए गए बम का नाम लिटिल बॉय, जबकि नागासाकी पर गिराया गया बम फैट मैन था

6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था। इसके तीन दिन के बाद 9 अगस्त को नागासाकी पर एक और बम गिराया। इसमें लाखों लोग मारे गए, जबकि लाखों प्रभावित हुए। वहीं, हमले के बाद कई लोग रेडियोएक्टिव ‘काली बारिश’ की चपेट में भी आए।

पिछले हफ्ते हिरोशिमा के जिला कोर्ट ने ‘काली बारिश’ की चपेट में आए लोगों की पहचान की। साथ ही उन्हें सभी चिकित्सा सुविधाएं देने की बात कही थी। हमले से प्रभावित लोगों को फ्री मेडिकल ट्रीटमेंट दिया जाता है, जिन्हें जापान में ‘हिबाकुशा’ के नाम से जाना जाता है।

द्वितीय विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद जापान सरकार ने गंभीर रूप से प्रभावित लोगों को फ्री में स्वास्थ्य सुविधाएं देने की घोषणा की थी। साथ ही सरकार ने कुछ इलाकों को गंभीर रूप से प्रभावित घोषित किया था। हमले के वक्त जो लोग शहर से बाहर थे, वे भी हमले के बाद हुई ‘काली बारिश’ की चपेट में आ गए थे।

अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर बम क्यों गिराया?

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होते-होते जापान और अमेरिका के रिश्ते खराब हो गए। खासकर तब जब जापान की सेना ने ईस्ट-इंडीज के तेल-समृद्ध क्षेत्रों पर कब्जा करने के इरादे से इंडो-चाइना को निशाना बनाने का फैसला किया। इसलिए, अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने आत्मसमर्पण के लिए जापान पर परमाणु हमला किया।

हैरी एस ट्रूमैन उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उन्होंने चेतावनी दी थी, “जापान या तो समर्पण करे या तत्काल और पूरी तरह से विनाश के लिए तैयार रहे। हम जापान के किसी भी शहर को हवा से ही मिटा देने में सक्षम हैं।’’ 26 जुलाई को जर्मनी में पोट्सडैम की घोषणा हुई थी, जिसमें जापान को आत्मसमर्पण के लिए चेतावनी दी गई।

हालांकि, इसे लेकर अन्य सिद्धांत हैं। परमाणु हमला कर जापान को समर्पण के लिए मजबूर करने की जरूरत नहीं थी। एक इतिहासकार गर अल्परोवित्ज ने 1965 में अपनी एक किताब में तर्क दिया है कि जापानी शहरों पर हमला इसलिए किया गया ताकि युद्ध के बाद सोवियत संघ के साथ राजनयिक सौदेबाजी के लिए मजबूत स्थिति हासिल हो सके।

हालांकि, परमाणु हमले के तत्काल बाद 15 अगस्त 1945 को जापान ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया था।

फोटो 1945 में ली गई थी। इसमें अमेरिका द्वारा हिरोशिमा पर परमाणु हमला किए जाने के बाद की स्थिति नजर आ रही है।

6 और 9 अगस्त को क्या हुआ?

6 अगस्त को सुबह 8:15 बजे अमेरिका के इनोला गे विमान ने हिरोशिमा पर पहला एटोमिक बम गिराया। उस वक्त तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा गर्म हो गया था। करीब 10 किलोमीटर तक सबकुछ जलकर राख हो गया। हवा की गति काफी तेज हो गई। विस्फोट और थर्मल किरणों से बिल्डिंग के टुकड़े-टुकड़े हो गए।

हिरोशिमा की आबादी उस वक्त करीब 3 लाख 50 हजार थी। इनमें 43 हजार जापानी सैनिक थे। लिटिल बॉय के नाम से जाना जाने वाला यूरेनियम हथियार को जब हिरोशिमा में गिराया गया, तब वह 1,850 फीट की ऊंचाई पर फटा। इसकी क्षमता 12.5 किलोटन टीएनटी के बराबर थी।

यूएस स्ट्रेटेजिक बॉम्बिंग सर्वे ऑफ 1946 ने बताया कि बम शहर के सेंटर से उत्तर-पश्चिम में विस्फोट किया गया था। इसमें 80,000 से ज्यादा लोग मारे गए और कई घायल हुए थे।

अगले दिन न्यूयॉर्क डेली न्यूज का हेडलाइन था- 'बेयर सेक्रेट विपन ‘एटम’ बम जापान मोस्ट डिस्ट्रक्टिव फोर्स इन यूनिवर्स'। न्यूयॉर्क टाइम्स ने हेडलाइन दिया- 'जापान पर पहला परमाणु बम गिराया गया; मिसाइल 20 हजार टन टीएनटी के बराबर होता है; ट्रूमैन की चेतावनी बर्बादी की बारिश'।

तीन दिन के बाद 9 अगस्त को 11 बजे (लोकल टाइम) नागासाकी पर दूसरा एटोमिक बम गिराया गया। इसकी आबादी उस वक्त करीब 2 लाख 70 हजार थी। वहीं, नागासाकी पर ‘फैटमैन’ प्लूटोनियम बम गिराया गया तो 22 किलोटन टीएनटी के बराबर विस्फोट हुआ। इस हमले में 40,000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।

फोटो हमले के बाद की हिरोशिमा की है। मलबा हटाए जाने के बाद लोग सड़क से गुजरते नजर आ रहे हैं। (सोर्स- यूएस वार डिपार्टमेंट)

शहर के क्या हालात थे?

विस्फोट और गर्मी के चलते लोगों के शरीर से त्वचा लटक रही थी। पेड़ों की पत्तियां झड़ चुकी थी। एक सोशियोलॉजिस्ट ने बताया, शहर का एक पार्क लोगों के शव से भरा हुआ था। वहां मैंने एक बेहद भयावह दृश्य देखा। कुछ छोटी लड़कियां वहां पड़ी हुईं थीं, जिनके न केवल कपड़े फटे थे, बल्कि उनकी त्वचा भी शरीर से अलग हो गई थी।

मेरे दिमाग में तत्काल यह ख़याल आया कि यह नरक से कम नहीं है, जैसे मैंने अक्सर सोचा है। हिरोशिमा आग में जल रहा था। विस्फोट के थोड़ी देर के बाद ‘काली बारिश’ शुरू हो गई। इसमें रेडियोएक्टिव तत्व मौजूद थे।

सोशियोलॉजिस्ट ने बताया, बीस साल की शिबायामा हिरोशी (जो हमले के समय शहर से बाहर थी) ने हमले के कुछ घंटों के बाद हिरोशिमा पहुंची। क्योबाशी नदी को पार करते हुए उसने नरक की एक पेंटिंग की याद दिलाती हुई एक दृश्य देखा।

नदी में कई लोगों के शव तैर रहे थे। उनके चेहरे का साइज सामान्य से दोगुना हो गया था। उनके पैर लकड़ी के जैसे कड़े हो गए थे। धमाके के बाद पूरे शहर में कई रंगों में गंदे भूरे और काले रंग के बादल छाए हुए थे।

हिरोशिमा और नागासाकी दोनों शहर में 1.2 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 50% लोग विस्फोट के दिन ही मारे गए थे। वहीं, 80-100% लोगों की रेडिएशन और घायल होने के बाद जान गई। पांच महीने के भीतर हिरोशिमा के 3 लाख 50 हजार की आबादी में 1 लाख 40 हजार लोग मारे गए, जबकि नागासाकी के 2 लाख 70 हजार की आबादी में 70 हजार लोग की जान गई।

REFERENCE: https://www.bhaskar.com/international/news/75th-anniversary-of-the-atomic-bomb-attacks-on-hiroshima-and-nagasaki-by-us-america-127590049.html

गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

UNITED NATION ORGANISATION DAY 24 OCTOBER

संयुक्त राष्ट्र दिवस (२४ अक्टूबर )

उन्नीसवीं शताब्दी में यूरोपीय देशों में महायुद्ध छिड़ गया । यह युद्ध सन 1914 से 1918 तक चला । इसे विश्व का प्रथम महायुद्ध कहा जाता है । यूरोप के देशों को इससे महान कष्ट हुआ । जो देश युद्ध में रत थेउनको कई विपत्तियों का सामना करना ही पड़ा । जिन्होंने उसमें भाग नहीं लिया वे भी इसके प्रभाव से बच नहीं सके ।युद्ध की विभीषिका से घबराकर भविष्य में युद्धों से बचने के लिए एक संस्था की स्थापना की गई । इस संस्था का नाम था – संयुक्त राष्ट्र सघ । इस संस्था ने दो दशकों तक लगन से काम किया । इसका मुख्यकार्य अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों को सुलझाना था । इस संस्था के पास अपने निर्णय मनवाने के लिए कोई सैन्य शक्ति न थी ।प्रयत्न करने रहने पर भी कुछ राष्ट्रों के झगड़े सुलझाने में इसे सफलता न मिली । 1939 में द्वितीय महायुद्ध प्रारम्भ हो गया । यह युद्ध 1945 तक चला । इसमें अपार धन-जन की हानि हुई । इस युद्ध के समाप्त होने से पूर्व ही मित्र राष्ट्रों ने सभा करके विश्व में स्थायी शान्ति स्थापना करने की योजना बना डाली ।
उनकी राय में मानवता का सामाजिक एव आर्थिक उत्थान विश्व शान्ति के लिए आवश्यक है । उनकेप्रयासों से 24 अक्टूबर, 1945 को एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘ संयुक्त राष्ट्र संघ ‘ की स्थापना हुई । इसका मुख्य उद्‌देश्य अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों को शान्तिपूर्ण ढंग से सुलझाना था ।
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का मुख्य कार्य विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के मध्य शान्ति स्थापित करना और उनकी प्रगति में हाथ बंटाने के लिए यथासंभव प्रयत्न करना है। जून 1945 तक इसका एक संविधान भीबना लिया गया । इस संविधान द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ को वैसे ही अधिकार प्राप्त हो गए जैसे किसी राष्ट्र को अपने संविधान द्वारा मिल जाते हैं ।
संयुक्त राष्ट्र संघ के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
1. सभी प्रकार के साधनों का उपयोग करके किसी राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र पर आक्रमण रोक कर अंतर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा स्थापित रखना ।
2. समानता और आत्म निर्णय के अधिकार के आधार पर विभिन्न राष्ट्रों के मध्य मित्रवत सम्बन्धों का विकास करना ।
3. अंतर्राष्ट्रीय आधार पर राष्ट्रों के मध्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा अन्य मानव सम्बन्धों में सहयोग का विकास करना ।
4. नस्ल जाति, धर्म, भाषा, लिंग या किसी अन्य समूह पर ध्यान दिये बिना, मानव अधिकारों अथवा आधारभूत स्वतन्त्रताओं को सम्मान देने की भावना का विकास करना ।
संयुक्त राष्ट्र संघ की मुख्य संस्थाएँ हैं:
साधारण सभा – संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी मामलों पर निर्णय लेती है । इसके बजट
को पारित करती है । जो राष्ट्र उसके निर्णयों का उल्लंघन करते हैं, उन्हें सदस्यता से निकालते हैं । नए सदस्यों को भर्ती करती है तथा उसकी सभी समितियों के कार्य पर नियंत्रण रखती है ।

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