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LIBRARY NEWSLETTER "UMANG"

के वि एन/ उमंग/जून २०१८/ द्वितीय संस्करण  आदरणीय महानुभावों , आप सबको ये बताते हुए हर्ष हो रहा है कि केंद्रीय विद्यालय वायुसेना स्थल नलिया  पुस्तकालय  त्रैमासिक ग्रंथालय समाचार पत्रिका " उमंग "का दूसरा संस्करण (जून 2018 ) प्रकाशित किया जा रहा है आपके भरपूर स्नेह एवं  उचित मार्गदर्शन के आधार पर ये संस्करण आप सभी लोगो के लिए अवलोकनार्थ हेतु प्रकाशित किया गया है |  पिछले संस्करण की भांति मैं आप सभी  लोगो का ध्यानाकर्षण एवं स्नेह  पुनः एकबार चाहूँगा साथ ही साथ आप सभी के सुझाव भी आमंत्रित हैं |  धन्यवाद सुधाकर गुप्ता  पुस्तकालयाध्यक्ष  संपादक "उमंग " केंद्रीय विद्यालय वायुसेना स्थल  नलिया 

BOOK -TALK पुस्तक समीक्षा ( BOOK REVIEW )

BOOK -TALK   पुस्तक समीक्षा ( BOOK  REVIEW ) ON 29 AUGUST 2018  प्रतिवेदन  विद्यालय पुस्तकालय गतिविधि के मासिक पुस्तकालय गतिविधि /क्रियाविधि के अंतर्गत विद्यार्थियों द्वारा उनके द्वारा पढ़ी हुई पुस्तक की समीक्षा एवं अन्य विद्यार्थिओं को पुस्तक पढ़ने हेतु प्रेरित करने में अपना योगदान प्रदान करना | इसी क्रम में विद्यालयी छात्रों ने प्रमुख पुस्तकों की समीक्षा प्रातःकालीन प्रार्थना सभा में  लिखित एवं मौखिक (नाट्य मंचन के द्वारा )  रूप से प्रस्तुत की जो की विशेष रूप से सराहनीय रही | एक छात्रा  द्वारा दिया गया प्रस्तुतिकरण मुंशी प्रेमचंद की द्वारा लिखित पुस्तक "पांच फूल " के ऊपर  सराहनीय रहा जिसके अंश यूट्यूब वीडिओ  पर सुने व देखे जा सकते हैं | 

BOOK REVIEW OF THE MONTH

पुस्तक समीक्षा  पुस्तक का नाम :- परशुराम की प्रतीक्षा  लेखक का नाम :- रामधारी सिंह "दिनकर " मूल्य : रुपये अस्सी मात्र  प्रकाशक :- लोक भारती  प्रकाशन   संस्करण :- द्वितीय  पुस्तक के बारे में  "परशुराम की प्रतीक्षा " रामधारी सिंह " दिनकर " द्वारा रचित एक अदभुत  कविता संग्रह है |  यह उनकी रचनाओं में से एक है | इसमें कुल 18 कविताएं हैं ,  कुछ लम्बी तो कुछ छोटी है | इस पुस्तक का नाम इसकी पहली रचना पर पड़ा है | इस पहली कविता अर्थात  प्रतीक्षा के इन १८ कविताओं पांच खंड हैं , साथ ही साथ यह पूरी पुस्तक की सबसे लम्बी  कविता  है | बाकी कविताओं में खंड नहीं पाए गए हैं | इन 18  कविताओं में आपको देशभक्ति एवं वीर रस मिलेगा | इन सभी कविताओं के माध्यम से कवि यह बताना चाहते हैं कि भारत की स्थिति  में सुधार की काफी आवश्यकता है | वह भारत की जनता को स्वतंत्रता का मूल्य बताना चाहते हैं | कवि ने इस प्रकार छात्रों का आह्वान है -  और छात्र  बड़े पुरजोर हैं  कॉलेजों में सी...
स्वतंत्रता दिवस समारोह १५ अगस्त  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का ७२वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य  में दिल्ली के लाल किले से दिए गए भाषण के कुछ अंश 

MLAP AUGUST 2018

KENDRIYA VIDYALAYA AFS NALIYA CENTRAL LIBRARY MONTHLY LIBRARY ACTION PLAN FOR AUGUST 2018 LIBRARY COMMITTEE MEETING. BOOK TALKS CREATE, SHORT VIDEO OF STUDENTS DOING BOOK REVIEW/TALK SPEECH AND DISCUSSION ON HIROSHIMA DAY -6TH AUGUST. CELEBRATING NATIONAL LIBRARIAN'S DAY 12TH AUGUST. SPEECH AND DISCUSSION ON INDEPENDENCE DAY(15TH AUGUST). FOLLOWING THE CONDEMNATION PROCESS OF NON-USABLE LIBRARY MATERIAL.

LIBRARIAN'S DAY ( 12 AUGUST)

राष्ट्रीय ग्रंथालयाध्यक्ष  दिवस (१२ अगस्त)

DR. S.R. RANGANATHAN

  डॉ.  एस.आर. रंगनाथन का संक्षिप्त जीवन परिचय शियाली राममृत रंगनाथन (S R Ranganathan) का जन्म 9 अगस्त 1892 को मद्रास राज्य के तंजूर जिले के शियाली नामक क्षेत्र में हुआ था। जब वे सिर्फ 6 वर्ष के थे, उनके पिता जी का निधन हो गया। उनकी देख-रेख दादा जी ने की।  सन् 1916 में रंगनाथन (S R Ranganathan) ने मद्रास क्रिश्चन काॅलेज से गणित में एम.ए. किया। फिर एक साल का प्रोफेशनल टीचिंग का कोर्स किया। उनका शिक्षण का विषय गणित और फिजिक्स था। पहली नियुक्त 1917 में गोवर्नमेंट कॉलेज मंगलोर में हुई। बाद में उन्होने 1920 में गोवर्नमेंट कॉलेज कोयंबटूर और 1921-23 के दौरान प्रेजिडेंसी कॉलेज मद्रास विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया।  रूचि के विपरीत लाइब्रेरियन के पद के लिए आवेदन और नियुक्ति उनकी शिक्षण कार्य में गहन रूचि तो थी परन्तु बहुत कम तनख्वाह होने के कारण गुजारा ढंग से नहीं हो पा रहा था। भाग्य से कुछ समय बाद मद्रास विश्वविद्यालय में लाइब्रेरियन की पोस्ट निकली जिसमें ठीक-ठाक वेतन का आॅफर था। इस प्रकार की नई पोस्ट होने के कारण 900 के लगभग आवेदकों में से हर-एक अनुभव-हीन था। गणित ...

GREAT AUTHOR OF INDIA

जीवनी : महान  गद्यकार मुंशी प्रेमचंद (धनपत राय ) जन्म: प्रेमचन्द का जन्म ३१ जुलाई सन् १८८० को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था। आपके पिता का नाम अजायब राय था। वह डाकखाने में मामूली नौकर के तौर पर काम करते थे। जीवन: धनपतराय की उम्र जब केवल आठ साल की थी तो माता के स्वर्गवास हो जाने के बाद से अपने जीवन के अन्त तक लगातार विषम परिस्थितियों का सामना धनपतराय को करना पड़ा। पिताजी ने दूसरी शादी कर ली जिसके कारण बालक प्रेम व स्नेह को चाहते हुए भी ना पा सका। आपका जीवन गरीबी में ही पला। कहा जाता है कि आपके घर में भयंकर गरीबी थी। पहनने के लिए कपड़े न होते थे और न ही खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिलता था। इन सबके अलावा घर में सौतेली माँ का व्यवहार भी हालत को खस्ता करने वाला था। शादी: आपके पिता ने केवल १५ साल की आयू में आपका विवाह करा दिया। पत्नी उम्र में आपसे बड़ी और बदसूरत थी। पत्नी की सूरत और उसके जबान ने आपके जले पर नमक का काम किया। आप स्वयं लिखते हैं, "उम्र में वह मुझसे ज्यादा थी। जब मैंने उसकी सूरत देखी तो मेरा खून सूख गया।......." उसके साथ - साथ जबान क...