पुस्तक समीक्षा
पुस्तक का नाम :- परशुराम की प्रतीक्षा
लेखक का नाम :- रामधारी सिंह "दिनकर "
मूल्य : रुपये अस्सी मात्र
प्रकाशक :- लोक भारती प्रकाशन
संस्करण :- द्वितीय
संस्करण :- द्वितीय
पुस्तक के बारे में
"परशुराम की प्रतीक्षा " रामधारी सिंह " दिनकर " द्वारा रचित एक अदभुत कविता संग्रह है | यह उनकी रचनाओं में से एक है | इसमें कुल 18 कविताएं हैं , कुछ लम्बी तो कुछ छोटी है | इस पुस्तक का नाम इसकी पहली रचना पर पड़ा है | इस पहली कविता अर्थात प्रतीक्षा के इन १८ कविताओं पांच खंड हैं , साथ ही साथ यह पूरी पुस्तक की सबसे लम्बी कविता है | बाकी कविताओं में खंड नहीं पाए गए हैं | इन 18 कविताओं में आपको देशभक्ति एवं वीर रस मिलेगा | इन सभी कविताओं के माध्यम से कवि यह बताना चाहते हैं कि भारत की स्थिति में सुधार की काफी आवश्यकता है | वह भारत की जनता को स्वतंत्रता का मूल्य बताना चाहते हैं | कवि ने इस प्रकार छात्रों का आह्वान है -
और छात्र बड़े पुरजोर हैं
कॉलेजों में सीखने आये तोड़ फोड़ हैं | कहते हैं अभी पढ़ने का क्यासवाल है?
अभी तो हमारा धर्म एक हड़ताल है |
समित शांडिल्य कक्षा ८-ब,(छात्र केंद्रीय विद्यालय वायु सेना, नलिया ) दवारा समीक्षित
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