Kendriya Vidyalaya Dhar library plays a key role in the cultural and social life of the school. It can be a central point for engagement with all kinds of reading, cultural activities, access to information, knowledge building, deep thinking and lively discussion. The ultimate objective of the library is, to develop the reading habit and make awareness about the glory of the Indian nation among the all age of readers group.
मंगलवार, 10 जुलाई 2018
शुक्रवार, 29 जून 2018
NATIONAL READING MONTH
KENDRIYA VIDYALAYA
AFS NALIYA
CENTRAL LIBRARY
CENTRAL LIBRARY OF KENDRIYA VIDYALAYA AFS NALIYA IS CELEBRATING NATIONAL READING MONTH WITH ALL USER COMMUNITY.FOLLOWING ACTIVITIES WILL BE TAKE PLACE DURING THIS MONTH.
ACTIVITY UNDER
NATIONAL READING MONTH FROM 19TH JUNE TO 18TH JULY
DATE
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DAY
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ACTIVITY
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2ND
JULY 2018
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MON
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READING
MONTH INAUGRATION SPEECH ADDRESSING BY MR. SHASHIKANT(PRINCIPAL SIR), TAKING PLEDGE, AND SLOGAN MAKING (ENG. AND HINDI)
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3RD
JULY 2018
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TUE
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SPEECH FROM
STUDENTS(ENGLISH) ON IMPORTANCE OF READING
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4TH
JULY
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WED
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POSTER
MAKING ON READING HABITS CLASS WISE (FROM VI TO VIII)
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5TH
JULY 2018
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THU
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ESSAY
WRITING ON ROLE OF READING IN IMPROVING PREPARATION SKILL(ENGLISH)
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6TH
JULY 2018
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FRI
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TEACHER’S
VIEWS/LECTURE ON READING, HOW TO INCULCATE READING HABIT
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7TH
JULY 2018
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SAT
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READING BOOK
REVIEW BY THE STUDENTS IN MORNING ASSAMBLY (HINDI)
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9TH
JULY 2018
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MON
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READING BOOK
REVIEW BY THE STUDENTS IN MORNING ASSAMBLY (ENGLISH)
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10TH
JULY 2018
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TUE
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SPEECH FROM
STUDENTS (HINDI)ON PADHNE KA MAHATVA
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11TH
JULY 2018
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WED
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POSTER
MAKING ON DIGITAL READING PROMOTION(FROM CLASS IX TO XII)
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12TH
JULY 2018
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THU
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ESSAY
WRITING ON PADHAI KI AADAT KAISE PARIKSHA TAIYARI KE KAUSHAL KO BADHA SAKTI HAI (HINDI)
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13TH
JULY 2018
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FRI
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TEACHER’S
VIEWS/LECTURE ON HOW TO INCULCATE READING HABIT AMONGST PRIMARY STUDENTS.(BY
PRIMARY TEACHERS)
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16TH
JULY 2018
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MON
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READING BOOK
REVIEW BY PRINCIPAL SIR, STUDENTS WILL WRITE AND SUBMIT TO LIBRARY
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17TH
JULY 2018
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TUE
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I LOVE
READING BECAUSE…WRITE IN YOUR OWN WORDS UPTO 250 WORDS
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18TH
JULY 2018
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WED
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PRIZE
DISTRIBUTION, BEST READER OF THE MONTH, BEST BOOK REVIEW OF THE MONTH.
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बुधवार, 27 जून 2018
मंगलवार, 26 जून 2018
EXAM WARRIORS !
पुस्तक समीक्षा
शीर्षक -एग्जाम वारियर्स
लेखक - नरेंद्र मोदी
प्रकाशक -पेंगुइन
मूल्य -100 रुपये
आई. एस. बी.एन.-9780143441502
लेखक के बारे में
नरेंद्र मोदी विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री हैं उनके नेतृत्व में उनकी पार्टी को 2014 के लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक पूर्ण बहुमत मिला जो भारतीय राजनीति में 3 दशकों से किसी भी दल को प्राप्त नहीं हुआ था उनकी इस जीत के पीछे भारत के युवा विशेषकर पहली बार मतदान करने वाले युवाओं का ऐतिहासिक योगदान था/प्रधानमंत्री के रुप में नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था और सामाजिक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं जिससे भारत की विकास यात्रा की गति और व्याप् दोनों अभूतपूर्व रूप से बढे हैं/शिक्षा का क्षेत्र नरेंद्र मोदी को अत्यंत प्रिय है युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं हर महीने प्रसारित होने वाला उनका रेडियो कार्यक्रम मन की बात से उन्होंने परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के साथ पहली बार वर्ष 2015 में और फिर वर्ष 2016 में और वर्ष 2017 में संवाद किया इससे पहले नरेंद्र मोदी वर्ष 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं लेखन पढ़ना और लोगों के साथ संवाद नरेंद्र मोदी को बहुत पसंद है सोशल मीडिया पर विभिन्न बेहद लोकप्रिय हैं और सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले नेताओं में शामिल हैं विशेषण मीडिया और नरेंद्र मोदी मोबाइल ऐप के माध्यम से भी लोगों के साथ जुड़े रहते हैं/
पुस्तक के बारे में
पुस्तक के बारे में
नरेंद्र मोदी द्वारा एग्जाम वारियर्स युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक किताब है।यह पुस्तक चित्रों, गतिविधियों और योग अभ्यासों के साथ एक मजेदार और संवादात्मक शैली में लिखी गयी है, यह पुस्तक न केवल परीक्षा में बल्कि जीवन का सामना करने में भी एक मित्र साबित होगी। एग्जाम वारियर्स गैर-उपदेशकारी, व्यावहारिक और विचार-विमर्शकारी, भारत और दुनिया भर के छात्रों के लिए एक आसान गाइड है। यह विद्यार्थिओं के साथ साथ माता-पिता को प्रेरित करती है और आपको उत्थान की ओर अग्रसित करती है ।
पुस्तक काफी उपयोगी है निस्संदेह छात्रों को तनावमुक्त रहते हुए परीक्षा की तैयारी से लेकर परीक्षाफल तक ये पुस्तक सफल प्रतीत होती है | पुस्तक समीक्षक : सुधाकर गुप्ता (पुस्तकालयाध्यक्ष, के. वि. वायुसेना स्थल नलिया , गुजरात )
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गुरुवार, 10 मई 2018
रबीन्द्रनाथ टैगोर
रबीन्द्रनाथ टैगोर
जब कभी भी भारतीय साहित्य के इतिहास की चर्चा होगी तो वह गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के नाम के बिना अधूरी ही रहेगी। रबीन्द्रनाथ टैगोर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार तथा चित्रकार थे। भारतीय साहित्य गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा। वे अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला है। वह नोबेल पुरस्कार पाने वाले प्रथम एशियाई और साहित्य में नोबेल पाने वाले पहले गैर यूरोपीय भी थे।वह दुनिया के अकेले ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान हैं – भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान ‘आमार सोनार बाँग्ला’ रबीन्द्रनाथ टैगोर की ही रचनाएँ हैं। गुरुदेव एवं कविगुरु, रबीन्द्रनाथ टैगोर के उपनाम थे। इन्हें रबीन्द्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जाना जाता है।
रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 May 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में एक अमीर बंगाली परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम देवेंद्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था। उनकी प्रारम्भिक पढ़ाई सेंट ज़ेवियर स्कूल में हुई। वे वकील बनने की इच्छा से 1878 ई. में लंदन गए, लेकिन वहाँ से पढ़ाई पूरी किए बिना हीं 1880 ई. में वापस लौट आए।टैगोर बचपन से हीं बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। रबीन्द्रनाथ टैगोर की बाल्यकाल से कविताएं और कहानियाँ लिखने में रुचि थी। उन्होंने अपनी पहली कविता 8 साल की छोटी आयु में हीं लिख डाली थी 1877 में केवल सोलह साल की उम्र में उनकी लघुकथा प्रकाशित हुई थी। टैगोर ने करीब 2,230 गीतों की रचना की है। रबीन्द्रनाथ संगीत, बाँग्ला संस्कृति का अभिन्न अंग है।लन्दन से वापस आने के पश्चात वर्ष 1883 में उनका विवाह मृणालिनी देवी से हुआ। इंग्लैंड से वापस आने और अपनी शादी के बाद से लेकर सन 1901 तक का अधिकांश समय रबीन्द्रनाथ ने सिआल्दा जो अब बांग्लादेश में है, स्थित अपने परिवार की जागीर में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बिताया। यहाँ उन्होंने ने ग्रामीण एवं गरीब जीवन को बहुत पास से देखा। इस बीच तक उन्होंने ग्रामीण बंगाल के पृष्ठभूमि पर आधारित कई लघु कथाएँ लिखीं एवं स्वयं को एक विख्यात साहित्यकार के रूप में स्थापित कर लिया था।
रबीन्द्रनाथ टैगोर बचपन से ही प्रकृति प्रेमी थे। वह हमेशा सोचा करते थे कि प्रकृति के सानिध्य में ही विद्यार्थियों को अध्ययन करना चाहिए। इसी सोच को मूर्तरूप देने के लिए वह 1901 में वह शान्तिनिकेतन आ गए। प्रकृति के सान्निध्य में पेड़ों, बगीचों और एक लाइब्रेरी के साथ टैगोर ने शान्तिनिकेतन की स्थापना की। यह रबीन्द्रनाथ के अथक प्रयासों का ही नतीजा था कि उनके द्वारा स्थापित शान्तिनिकेतन 1921 ई. में विश्वभारती नामक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में ख्यातिप्राप्त हुआ। यह साहित्य, संगीत और कला की शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में एक आदर्श विश्वविद्यालय के रूप में पहचाना जाता है। देश के कई प्रमुख व्यक्तियों ने यहाँ से अपनी शिक्षा प्राप्त किया है। साहित्य की शायद ही ऐसी कोई विधा हो, जिनमें उनकी रचना न हो कविता, गान, कथा, उपन्यास, नाटक, प्रबन्ध, शिल्पकला सभी विधाओं में उन्होंने रचना की है। उनकी कृतियों में – गीतांजली, गीताली, गीतिमाल्य, पूरबी प्रवाहिनी, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष,, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, खेला और क्षणिका आदि शामिल हैं। क़ाबुलीवाला, मास्टर साहब और पोस्टमास्टरउनकी कुछ प्रमुख प्रसिद्ध कहानियाँ है। उन्होंने कुछ पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया। टैगोर ने करीब 2,230 गीतों की रचना की है गुरुदेव रवीन्द्रनाथ की सबसे लोकप्रिय रचना ‘गीतांजलि’ रही जिसके लिए 1913 में उन्हें नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। गीतांजलि लोगों को बहुत पसंद आई. गीतांजली का अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रैंच, जापानी, रूसी आदि विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में इसका अनुवाद किया गया। टैगोर का नाम दुनिया के कोने-कोने में फ़ैल गया और वे विश्व – मंच पर स्थापित हो गये। रबीन्द्रनाथ टैगोर के कार्यो को देखकर अंग्रेज सरकार ने 1915 ई. में उन्हें सर की उपाधि से समानित किया।
अपने जीवन में उन्होंने कई देशों की यात्रा किया. आइंस्टाइन जैसे महान वैज्ञानिक, रवीन्द्रनाथ टैगोर को ‘‘रब्बी टैगोर’’ के नाम से पुकारते थे। आइंस्टाइन , रबीन्द्रनाथ के प्रसंशक थे। यहूदी धर्म एवं हिब्रू भाषा में ‘‘रब्बी’’ का अर्थ “गुरू’’ अथवा “मेरे गुरु” होता है। 1919 में हुए जलियाँवालाबाग हत्याकांड की टैगोर ने जमकर निंदा की और इसके विरोध में उन्होंने अपना “सर” का ख़िताब लौटा दिया।
रबीन्द्रनाथ टैगोर की मृत्यु लम्बी बीमारी के कारण 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में हुई। रबीन्द्रनाथ टैगोर भारत के उन महान विभुतिओं में से एक है जिनका नाम सदैव सुनहरे अक्षरों में हमारे मन मस्तिष्क पर अंकित रहेगा। वे भारत के अनमोल रत्नों में से एक थे। प्रस्तुत लेखन के द्वारा मैंने गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन वृतांत को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यह मेरी तरफ से कविगुरु को श्रधांजलि है। आप जैसे महापुरुष को शत्- शत् नमन है।
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