THOUGHT OF THE DAY
"Hardships often prepare ordinary people for an extraordinary destiny."
आज का विचार
"कठिनाइयाँ अक्सर साधारण लोगों को एक असाधारण भाग्य के लिए तैयार करती हैं।"
Kendriya Vidyalaya Dhar library plays a key role in the cultural and social life of the school. It can be a central point for engagement with all kinds of reading, cultural activities, access to information, knowledge building, deep thinking and lively discussion. The ultimate objective of the library is, to develop the reading habit and make awareness about the glory of the Indian nation among the all age of readers group.
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"Hardships often prepare ordinary people for an extraordinary destiny."
आज का विचार
"कठिनाइयाँ अक्सर साधारण लोगों को एक असाधारण भाग्य के लिए तैयार करती हैं।"
शिक्षक दिवस 05 सितम्बर
जन्मदिवस: सर्व पल्ली राधाकृष्णन
जन्म 5 सितंबर 1888
मृत्यु 17 अप्रैल 1975
पद भारत के दूसरे राष्ट्रपति 1962 से 1967
जीवन परिचय
शिक्षक दिवस डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया जाता है। उनका जन्म 5 सितंबर को हुआ था। शिक्षा के क्षेत्र में डॉक्टर साहब ने उत्कृष्ट कार्य किया था। उन्होंने शिक्षा के द्वार सभी वर्गों के लिए खोला था। अनेकों दर्शन की किताबें उन्होंने लिखी निस्वार्थ भाव से शिक्षा का कार्य किया।
सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म मद्रास के तिरुतिन में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता गरीब थे इसलिए सर्वपल्ली राधाकृष्णन की शिक्षा छात्रवृति के सहारे हुई थी। उन्होंने 1902 में मैट्रिक स्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें छात्रवृत्ति भी प्राप्त हुई।इसके बाद उन्होंने 1906 कला संकाय की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर में दर्शनशास्त्र को प्रमुख विषय के रूप में चुना। उन्हें मनोविज्ञान , इतिहास और गणित विज्ञान में उच्च अंकों के साथ ऑनर्स प्राप्त हुआ।इसके अलावा क्रिश्चियन कॉलेज मद्रास में उन्हें छात्रवृत्ति भी दी।
दर्शन शास्त्र में एम ए करने के पश्चात 1919 में वह मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक अध्यापक नियुक्त हुए। कॉलेज में उन्होंने ” पौराणिक गाथा ” जैसे उपनिषद , भगवत गीता , ब्रह्म सूत्र और राम अनुजा महादेव आदि पर विशेष योग्यता हासिल की थी।
उन्होंने इस दौरान खुद को बुद्ध , जैन शास्त्र और पाश्चात्य विचारक प्लेटो , प्लाटिंस और बर्गसन मैं अभ्यस्त रखा। 1919 में मैसूर विश्वविद्यालय में उनको दर्शनशास्त्र का प्राध्यापक चुना गया। 1921 में राधा कृष्ण को कोलकाता विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र का प्राध्यापक मनोनीत किया गया।
1923 में डॉक्टर राधाकृष्णन की किताब ” भारतीय दर्शनशास्त्र प्रसाद “ प्रकाशित हुई इस पुस्तक को सर्वश्रेष्ठ दर्शन , दर्शनशास्त्र साहित्य की ख्याति मिली सर्वपल्ली को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हिंदू दर्शनशास्त्र पर भाषण देने के लिए बुलाया गया।उन्होंने अपने भाषण को आजादी की मुहिम तेज करने के लिए भी इस्तेमाल किया वर्ष 1931 में सर्वपल्ली ने आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति के पद का चुनाव लड़ा। उन्हें 1939 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति बने और सन 1948 तक किसी पद पर बने रहे।
भारत की आजादी के बाद यूनेस्को में उनहोने देश का प्रतिनिधित्व किया। 1949 से लेकर 1952 तक राधाकृष्णन सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे। वर्ष 1952 में उन्हें देश का पहला उपराष्ट्रपति बनाया गया।सन 1954 में उन्हें भारत रत्न देकर सम्मानित किया गया इसके पश्चात 1962 में उन्हें देश का दूसरा राष्ट्रपति चुना गया।जब वे राष्ट्रपति पद पर आसीन थे उस वक्त भारत का चीन और पाकिस्तान से युद्ध भी हुआ वह 1967 में राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त हुए और मद्रास जाकर बस गए।
सौजन्य: https://www.hindivibhag.com
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ART- KU. MANSAVI KUNTE(X-A)
WRITER-KU. HRUDAYA YADAV (X-A)
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