READER OF THE MONTH

सोमवार, 24 जनवरी 2022

THOUGHT OF THE DAY

 THOUGHT OF THE DAY

"LIFE HAS NO REMOTE CONTROL, GET UP AND CHANGE IT BY YOURSELF"

राष्ट्रिय बालिका दिवस 24 जनवरी

                                                     PICTURE COURTESY: PRABHAT KHABAR

राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है? राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य भारत की लड़कियों को सहायता और अवसर प्रदान करना है। इसका उद्देश्य बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और बालिका शिक्षा के महत्व और उनके स्वास्थ्य और पोषण के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है। कन्या भ्रूण हत्या और लैंगिक असमानता से लेकर यौन शोषण तक सभी मुद्दों पर बालिकाओं और लोगों को जागरूक करना है। लड़कियों को असमानताओं, बालिका अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक भेदभाव का आज भी सामना करना पड़ता है, ऐसे में बेटियों को जागरूक करने के लिए हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। ताकि वह अपने अधिकारों को जाने और उनका सदुपयोग करे।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास भारत में पहली बार राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी 2008 में मनाया गया था। राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा की गई थी। हर साल 24 जनवरी को एक खास वजह से बालिका दिवस मनाया जाता है। 24 जनवरी 1966 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी ने शपथ ली थी। इसलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने 24 जनवरी को भारतीय इतिहास,महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में चुना।

राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य समाज में लड़कियों के साथ लैंगिक भेदभाव के बारे में लोगों को जागरूक करना और लड़कियों के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव लाना है। भारत सरकार ने बालिकाओं की स्थिति में सुधार और भेदभाव को खत्म करने के लिए कई अभियान चलाए हैं। जैसे सेव द गर्ल चाइल्ड, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, लड़कियों के लिए मुफ्त या रियायती शिक्षा, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में महिलाओं के लिए आरक्षण शुरू आदि।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। पहले जहां बेटियों के पैदा होने पर भी उन्हें बाल विवाह जैसे कू प्रथा में झोंक दिया जाता था, वहीं आज बेटी होने पर लोग गर्व करते हैं। देश की आजादी के बाद से भारत सरकार ने बेटियों और बेटों में भेदभाव को खत्म करने के लिए कई योजनाएं चलाई। बेटियों को देश में पहले पायदान पर लाने के लिए कई कानून लागू किए गए। मुख्य रूप से राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य बालिकाओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है।केंद्र सरकार समेत राज्य सरकारें भी अपने अपने राज्यों में बेटियों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाते हैं। भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी और 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस कब है? भारत में हर साल 24 जनवरी को बालिका दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2008 में की गई थी। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 24 जनवरी 2008 में पहली बार राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया था।

24 जनवरी को ही बालिका दिवस क्यों है? इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, इसलिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2008 में 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। ताकि महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा सके।

बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य? इस दिन को मनाने का उद्देश्य देश की बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। बेटियों के साथ-साथ समाज को भी इस लैंगिग भेदभाव के बारे में जागरूक करना है। पूरे भारत में इस दिन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 थीम हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम अलग होती है। बालिका दिवस 2021 की थीम 'डिजिटल जनरेशन, अवर जेनरेशन' थी। वर्ष 2020 में बालिका दिवस की थीम 'मेरी आवाज, हमारा साझा भविष्य' थी। इस वर्ष बालिका दिवस 2022 की थीम अभी तक घोषित नहीं की गई है।






An educational video on Azadi's a tribute to India's great Freedom Fighters

A Tribute to India's great freedom fighters

click here for video

courtesy: YouTube Link

बुधवार, 12 जनवरी 2022

PERSON OF THE WEEK : SWAMI VIVEKANAND

 स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद (12 जनवरी 1863 - 4 जुलाई 1902), नरेंद्रनाथ दत्ता, एक भारतीय हिंदू भिक्षु थे। वह 19वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी रामकृष्ण के प्रमुख शिष्य थे। वे वेदांत और योग के भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया में पेश करने में एक प्रमुख व्यक्ति थे, और उन्हें 19 वीं शताब्दी के अंत में हिंदू धर्म को एक प्रमुख विश्व धर्म की स्थिति में लाने के लिए अंतर-जागरूकता बढ़ाने का श्रेय दिया जाता है।
कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे विवेकानंद का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। वह अपने गुरु, रामकृष्ण से प्रभावित थे, जिनसे उन्होंने सीखा कि सभी जीवित प्राणी दैवीय स्व के अवतार थे; इसलिए, मानव जाति की सेवा करके भगवान की सेवा की जा सकती है। रामकृष्ण की मृत्यु के बाद, विवेकानंद ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप का दौरा किया और ब्रिटिश भारत में प्रचलित का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त किया।

मंगलवार, 11 जनवरी 2022

READER OF THE MONTH

  PM SHRI KENDRIYA VIDYALAYA DHAR READER OF THE MONTH (NOVEMBER 2025) AARAV VAISHNAV CLASS VII-A